भारत के तटीय मैदान (Coastal Plains of India)
भारत के तटीय मैदान (Coastal Plains of India):-
यह
भारतीय
तट
रेखा
के
साथ-साथ
(प्रायद्वीपीय पर्वत
श्रेणियों
तथा
समुद्र
तट
के
मध्य)
फैला
हुआ
क्षेत्र
है,
जो
पूर्वी
तथा
पश्चिमी
दोनों
तटों
के
साथ
संलग्न
है।
पश्चिमी
तटीय मैदान:-
- ये पूर्वी तटीय मैदान की तुलना में आर्द्र तथा संकरा है। सबसे पश्चिमी भाग का रण कच्छ कहलाता है, जो उत्तरी गुजरात के 21500 वर्ग किमी. क्षेत्र में फैला हुआ है। यह क्षेत्र सामुद्रिक आच्छादन के लिए खुला हुआ है तथा गहरे रंग की गाद (Dark Silt) एवं नमक की परतों से संघटित है। दमन से गोआ तक का तटीय मैदान कोंकण तट (500 किमी. लम्बा) कहलाता है, जो सामान्यतः सपाट है तथा बेसाल्ट चट्टानों से बना है।
- कर्नाटक तट गोआ से कैन्नौर तक 525 किमी. लंबाई में फैला हुआ है। इस पट्टी में गोआ के निकट एगुंडा तथा मर्मगाव अंतरीपों के मध्य कई महत्वपूर्ण ज्वारनदमुखों का निर्माण हुआ है। कैन्नोर से कन्याकुमारी तक 500 किमी. लम्बा केरल तट विस्तृत है। इस भाग में लैगूनें अथवा पश्चनल (कयाल) पाये जाते हैं, जैसे-अस्थामुड़ी एवं वेम्बनाड आदि।
पूर्वी
तटीय मैदान:-
- ये मैदान पश्चिमी तटीय मैदानों की अपेक्षा अधिक चौड़े हैं तथा यहां मुख्य नदियों के सुविकसित डेल्टा पाये जाते हैं। उत्तर का दक्षिणी-पश्चिमी मानसून क्षेत्र तथा दक्षिण का उत्तरी-पूर्वी मानसून क्षेत्र का जलवायविक संक्रमण पूर्वी मैदान के दो विभिन्न चरणों के जलोढ़ लक्षणों की आश्चर्यजनक विभिन्नताओं को जन्म देता है। ये तटीय मैदान कोरोमंडल तट कहलाते हैं तथा सीधी खड़ी पहाड़ियों व् कगारों की अनियमित रेखा द्वारा, जो जलोढ़ों एक मोटी परत द्वारा आवृत्त है, घिरे हैं। ये रेखा विशेषतः महानदी, गोदावरी, कावेरी व कृष्णा के डेल्टाई शंकुओं में पायी जाती है।
- पूर्वी तटीय मैदान की सबसे दक्षिणी पट्टी तमिलनाडु मैदान कहलाती है, जो 675 किमी. लंबी है। मध्य पट्टी को आंध्र प्रदेश मैदान कहते हैं, जो पुलीकट से बेहरामपुर तक फैली हुई है। इस क्षेत्र में उपजाऊ कृष्णा-गोदावरी डेल्टा तथा कोलेरू झील स्थित है। उत्तर के उत्कल मैदान (400 किमी. लंबा) में महानदी डेल्टा तथा चिल्का झील मौजूद हैं।
तटीय
मैदान का
महत्व:-
- पर्याप्त प्राकृतिक पोताश्रयों के अभाव के बावजूद तटीय मैदान प्राचीन काल से ही व्यापार-वाणिज्य का केंद्र रहे हैं। इन मैदानों में लगभग 12 बड़े तथा अनेक छोटे बंदरगाह स्थित हैं।
- ये मैदान कृषि की दृष्टि से अत्यंत उपजाऊ हैं। कृष्णा-गोदावरी डेल्टा ने चावल के उत्पादन में हरित क्रांति का नेतृत्व किया है तथा पश्चिमी तटीय मैदानों में विशिष्ट प्रकार की फसलें उगायी जाती हैं।
- तटीय मैदान मत्स्यन के महत्वपूर्ण केंद्र हैं तथा निर्यात के माध्यम से बहुमूल्य विदेशी मुद्रा अर्जित करते हैं। अपने आर्थिक महत्व तथा सुगम संचार की सुविधाओं के कारण तटीय मैदानों ने सघन मानवीय अधिवास को आकर्षित किया है।
भारतीय मरुस्थल (Indian Desert) |
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पश्चिमी तटीय मैदान और पूर्वी तटीय मैदान के बीच अंतर |
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पश्चिमी तटीय मैदान |
पूर्वी तटीय मैदान |
यह मैदान पश्चिमी घाट और अरब सागर तट के बीच स्थित है। |
यह मैदान पूर्वी घाट और बंगाल की खाड़ी के तट के बीच अवस्थित है। |
इस मैदान की औसत चौड़ाई 64 किलोमीटर है, जिससे यह संकरा है। |
तुलनात्मक रूप से यह 80-100 किमी. की औसत चौड़ाई के साथ चौड़ा मैदान है। |
यहां पर लघु एवं तीव्र धाराओं का अपवाह तंत्र है जो डेल्टा बनाने में असमर्थ हैं। |
यहां पर बड़ी नदियां जैसे महानदी, गोदावरी, कृष्णा और कावेरी बहती हैं, जो डेल्टा बनाती हैं। |
यहां बड़ी संख्या में लैगून हैं। |
तुलनात्मक रूप से कम लैगून हैं। |
यहां तटीय सीमा पर वृहद जगह होती है जो पत्तनों का निर्माण करती है। |
यहां अधिकतर तटसीमा सीधी तथा कम चौड़ी है जिससे अच्छे पत्तनों का अभाव है। |